भ्रष्टाचार देश द्रोह है.


भ्रष्टाचार देश द्रोह है.
 
                                                         सुधाकर राजेन्द्र
 
नियम के विरूद्ध क्रिया कलाप ही भ्रष्टाचार है. भ्रष्टाचार का मतलब है भ्रष्ट आचरण जब कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए कानून, नियम और नैतिक मूल्यों के खिलापफ अनुचित आचरण करता है तो वह भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भ्रष्टाचार की समस्या से समग्र भारत ग्रस्त है लोक सेवाओं में भी भ्रष्टाचार की वृदि हुई है। भ्रष्ट देशों में भारत का सातवाँ स्थान है। आज जीवन का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है। भ्रष्टाचार ने देश के प्राचीन संस्कृति के जड़ को उखाड़ दिया हैं। भारतीय समाज अपनी पहचान खो चुका है। भ्रष्टाचार की प्रकृति ने तो मौलिक अधिकारों का अपहरण किया ही है, मानवीय अधिकारों का भी हनन किया है। आज समग्र देश भ्रष्टाचार में डूबा हैं। भारत में भ्रष्टाचार के कई कारण हैं उनमें प्रमुख हैं नैतिक मूल्यों का पतन, वैचारिक और सांस्कृतिक प्रदूषण, भौतिकवादी, विलासितावादी जीवन शैली, जटिल न्यायिक प्रकिया, राजनीतिक अपराधिकरण, सरकारी सेवाओं का राजनीतिकरण और कानूनी कारवाइयों का अभाव। आजादी के बाद भारत का एकमात्रा लक्ष्य था देश का सर्वांगीण समुचित विकास, किन्तु अपेक्षित विकास में भारत अब तक असपफल रहा है। भौतिकवादी भोग लिप्सा ने व्यक्ति को स्वार्थी और अंधा बना दिया है। फलतः व्यक्ति आज उचित और अनुचित में भेद करने में असमर्थ हैं। विलासिता की आवश्यक्ताओं की पूर्ति में भ्रष्ट तरीकों को अपनाने में लोगों को तनिक भी शर्म नहीं होती। इस स्थिति के लिए उच्च स्तर की राजनीतिक भ्रष्टाचार ही दोषी हैं। देश में घोटालों की चर्चा आम हैं। घोटालेवाजों के खिलापफ ठोस कदम उठाने की पहल का अभाव है। घोटालेवाजों के खिलापफ जटिल न्यायिक दीध्र कालीन प्रकिया के कारण वह बच निकलता है। फलतः भ्रष्टाचार को बल मिलता है। चुनाव में बडे़ व्यवसायी राजनीतिज्ञों को चुनाव फंड में लाखों चन्दा देते हैं। फलतः चुनाव जीतने के बाद राजनेता व्यापारियों को अवैध् और अनैतिक पैसा कमाने के लिए खुली छुट दे देते हैं। फलतः बडे़ पैमाने पर भ्रष्टाचार फलता फूलता है। जिसके कारण अपराधिकरण की संस्कृति पनपती है। शिक्षण संस्थाएं भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हैं। प्राथमिक विद्यालय का छात्र भी पैसा देकर पास करने की बात करता है। ऐसा विद्यार्थी आगे चलकर कैसा आचरण अपनाएगा? नौकरियों में लोग घूस देकर पद पा रहे हैं वे पद पर बैठकर कैसा आचरण करेंगें? इन सबके जड़ में हैं वैधनिक एवं कठोर कानूनी कारवाईयों का अभाव। ट्रंसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा ग्यारह सरकारी कार्यालयों में किए गए सर्वे के अनुसार भारत में सबसे अधिक भ्रष्ट पुलिस महकमा है, दूसरे स्थान पर हैं भूमि प्रशासन और तीसरे स्थान पर है न्यायिक सेवा

इस तरह भ्रष्टाचार के इस देशद्रोही रोग से कोई भी क्षेत्रा या विभाग आज विमुक्त नहीं है। भ्रष्टाचार के इस रोग से हमारा देश भारत कैसे मुक्त होगा यह एक अहम विचारणीय सवाल है।                   

 

1 comment:

  1. भ्रष्टाचार पर आपने बेहद सटीक लेख लिखा है, परंतु इन सब बाह्य कारणों के अलावा एक कारण पारिवारिक है। अधिकांश भ्रष्टाचार की जड़ में अनैतिक अर्थोपार्जन है, और इस अनैतिक अर्थोपार्जन की सबसे पहले जानकारी परिवार के सदस्यों को मिलती है। अगर परिवार में इस अनैतिकता की न सिर्फ अस्वीकृति हो वरन दंड का विधान भी हो तो इसे रोका जा सकता है। परंतु भ्रष्टाचार परिवार और समाज में अमूमन स्वीकार्य ही नहीं वरन प्रशंसनीय और अनुकरणीय हो चुका है। अब अगली बार जब कोई किसी भ्रष्ट की काली कमाई के गुण गाये तो हम कुछ और न कर सकें तो मुँह बिचका के अपनी असहमति जता दें।

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