बिहार में हिंदी

बिहार राज्य में मगही मैथिली और भोजपुरी आदि क्षेत्रीय बोलियों के साथ हिन्दी की समस्या भी अति महत्वपूर्ण हैं। बिहार की किसी भी क्षेत्रीय भाषा के साथ हिन्दी की प्रतिद्वन्दिता नहीं हैं। वे एक दूसरे के पूरक और सहयोगी हैं। बिहार की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए राष्ट्रभाषा का सहयोग अनिवार्य है। इन क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के विकास के लिए बिहार सरकार ने मगही अकादमी , भोजपुरी अकादमी और मैथिली अकादमी की स्थापना कर एक सराहनीय कार्य किया है। इन अकादमियों द्वारा  अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है। लेकिन ये संस्थाएं हिन्दी भाषा के उपघातक नहीं हैं। ये भाषाएं और बोलियां हिन्दी की सहयोगी बहनें हैं।
          बिहार सरकार ने यह निश्चय किया कि देवनागरी लिपि में लिखित भाषा हिन्दी बिहार की राजभाषा होगी। फलतः एक परामर्श मंडल समिति का गठन किया गया और अब तक इस समिति के परामर्श से हिन्दी का सर्वाधिक प्रयोग राजभाषा के रूप में किया जा रहा है। बिहार की कचहरियों में भी हिन्दी का प्रयोग किया जा रहा है। थानों में प्राथमिक सूचना लिखने के लिए हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का प्रयोग अनिवार्य है। निबंधन कार्यालयों में भी पूरे राज्य में हिन्दी लिखने का आदेश है। बिहार राज्य के सभी पंचायतों के साथ राजकीय पत्र व्यवहार हिन्दी भाषा के माध्यम से होता है। शिक्षण संस्थानों के निरीक्षण के विवरण हिन्दी में लिखने के आदेश दिए गए हैं। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी ग्रंथ अकादमी और राजभाषा कार्यालय तथा बिहार राज्य के पुस्तकालय अधीक्षक हिन्दी में हीं पत्र व्यवहार करते हैं। बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पूछे जाने वाले प्रश्नों और विचार के लिए संकल्पों और प्रस्तावों की सूचनाएं हिन्दी में ही दिए जाते हैं। बिहार के राज्यपाल और मंत्रीगण के भाषण भी हिन्दी में ही होते हैं। बिहार सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्रकाशित पत्र पत्रिकाओं का भी प्रकाशन हिन्दी में ही हो रहा है।
          बिहार सरकार ने अधिकांश विभागों का सभी कार्य हिन्दी में ही सम्पादित करना अनिवार्य कर दिया है। अहिन्दी भाषा-भाषी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को हिन्दी में प्रशिक्षण देने के लिए अनेक प्रशिक्षण केन्द्र भी खोले गए हैं। बिहार की हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं और साहित्यकारों ने हिन्दी के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। बिहार के हिन्दी प्रेमियों ने हिन्दी को एक मजबूत आधर देने का कार्य किया है। समग्र हिन्दी जगत बिहार के सदप्रयास को स्वीकारता है। आज बिहार राज्य में हिन्दी का भविष्य अति उज्जवल प्रतीत हो रहा है।


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