बिहार की पत्र-पत्रिकाएँ

बिहार की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं 

नई धारा
बिहार में साहित्यिक पत्रकारिता की दशा एवं दिशा विकास की ओर अग्रसर है. बिहार के कोने-कोने से साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएं अनवरत प्रकाशित हो रही है। हिन्दी के अलावा लोकभाषा मगही, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और बज्जिका की भी पत्र-पत्रिकाएं बिहार की साहित्यिक समृद्धि में सक्रिय रही हैं। यही कारण है कि पत्र पत्रिकाओं के व्यवसाय में बिहार का महत्वपूर्ण स्थान है।
  यों तो बिहार बंधु के रूप में बिहार का प्रथम और देश का दूसरा पत्र प्रकाशित करने का गौरव बिहार की धरती को है जिसके प्रथम संपादक मदन मोहन भट्ठ थे। तदुपरांत शैली सम्राट राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की साहित्यिक विरासत को संजोए हुए विगत साठ वर्षों से नई धारा नामक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन बिहार की साहित्यिक पत्रकारिता के लिए गौरव की बात है. नई धारा बिहार की साहित्यिक साधना और हिन्दी साहित्य को समृद्ध करती चली आ रही है. जो कार्य साहित्य जगत में सरस्वती पत्रिका के माध्यम से हुआ था वही कार्य नई धारा बिहार की साहित्यिक सृजनशिलता के लिए कर रही है। नई धारा ने न केवल उन्नत साहित्य सृजन में उल्लेखनीय योगदान दिया है अपितु नवोदित साहित्यकारों को भी प्रकाश में लाकर साहित्य के भंडार को भरने का काम किया है। वर्तमान साहित्यिक पत्रिकाओं में नई धारा महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

    बिहार राष्ट्रभाषा परिसद पटना की ओर से लगातार पच्चास वर्षों से अनवरत प्रकाशित होती रही त्रैमासिक परिसद पत्रिका भी बिहार के साहित्यिक पत्रकारिता की श्रीवृद्धि करती रही है जिसका सम्पादन विदुषी महिला डॉ0 मिथलेश्वरी कुमारी मिश्र कर रही है। परिसद द्वारा प्रकाशित इस पत्रिका के विशेषांक में निराला विशेषांक, रेणु विशेषांक, नागार्जुन विशेषांक, नारी विशेषांक के बाद युवा साहित्यकार विशेषांक बिहार की साहित्यिक पत्रकारिता के लिए शुभ है। इस पत्रिका का बिहार स्वर्ण जयंती विशेषांक तो गागर में सागर है। साहित्यिक विधाओं में बिहार का योगदान पर केन्द्रित 640 पृष्ठों का यह विशेषांक साहित्य जगत के लिए धरोहर अंक है।

    भारतीय भाषा साहित्य समागम बिहार पटना की त्रैमासिक साहित्यिक समाचार की पत्रिका नया भाषा भारती संवाद है जो लगातार बारह वर्षों से प्रकाशित हो रही है जिसके वर्तमान सम्पादक नृपेन्द्र नाथ गुप्त और प्रबंध सम्पादक सुखित वर्मा हैं बिहार की धरती से प्रकाशित यह एक मात्र साहित्यिक त्रैमासिक समाचार पत्रिका है जिसमें साहित्यिक गतिविधियों का समाचार प्रकाशित होता है। लगभग 200 पृष्ठों की यह पत्रिका अपने आपमें एक अलग पहचान और महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

    जनपथ डॉ. अनन्त कुमार सिंह के कुशल सम्पादन में आरा भोजपुर से प्रकाशित होने वाली हिन्दी साहित्य की एक महत्वपूर्ण मासिक पत्रिका है जिसमें देश के चर्चित साहित्यकारों की रचनाएं स्थान पाती है। सचित्र प्रकाशित यह पत्रिका हंस पॉखी कथादेश जैसी पत्रिकाओं की समानान्तर है। लगभग 84 पृष्ठों की यह पत्रिका वास्तव में पाठकों के लिए अध्ययन पथ तो है ही साहित्यकारों के लिए जन पथ भी है।

अवाम खगड़िया से प्रकाशित होने वाली एक महत्वपूर्ण साहित्यिक त्रैमासिक है जो साहित्यकार विश्वनाथ के सम्पादन में निकल रही है। इस अवाम के कुछ विशेषांकों में नेपाली विशेषांक नागार्जुन विशेषांक और अहिन्दी भाषी हिन्दी कहानी विशेषांक काफी चर्चित रहे हैं। लगभग 80 पृष्ठों वाली यह पत्रिका बिहार के सृजनशिलता को एक महत्वपूर्ण दिशा दे रही है। प्रगतिषील लेखक संघ खगड़िया की ओर से प्रकाशित यह पत्रिका प्रगतिशिल सृजनशिलता को समर्पित है।

    संवदिया भोला प्रसाद प्रणयी के सम्पादन में अररिया से प्रकाशित त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका है। कविता, कहानी, गीत-गजल पर केन्द्रित यह पत्रिका साहित्य की धरातल पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। संवदिया के अंकों में प्रणयी ने नई पीढ़ी के रचनाकारों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया है, सम्पादक का यह सराहनीय प्रयास है।

    साहित्य बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका है। 80 पृष्ठों की यह पत्रिका बिहार के अलावा देश के रचनाकारों को सृजनशीलता के लिए प्रेरित करती रही हैं। इस पत्रिका के सम्पादक डॉ. शिववंश पाण्डेय बिहार के जाने-माने साहित्यकार है। बिहार की रचनाशीलता को आगे बढ़ाने में इस पत्रिका का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह पत्रिका सत्तर वर्षों से प्रकाशित होती चली आ रही है।

    आरोह-अवरोह साहित्य एवं कला संस्कृति को समर्पित डॉ. शंकर प्रसाद के सम्पादन में प्रकाशित यह मासिक पत्रिका पांच वर्षों से पटना से प्रकाशित होती आ रही है। कला एवं संस्कृति के अलावे साहित्यिक रचनाओं की प्रमुखता से यह पत्रिका साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुख स्थान रखती है। साहित्यिक पत्रकारिता की दिषा में आरोह-अवरोह, आरोह की ओर आरूढ़ है। यह पत्रिका कला और संस्कृति को दिशा देने के लिए भी अग्रसर है।

    रंग अभियान डॉ. अनिल पतंग के सम्पादन में बेगूसराय से प्रकाशित नाट्य विद्या पर केन्द्रित यह इकलौती पत्रिका है। साहित्यिक विद्याओं में एकांकी को गति देने के लिए संकल्पित इस पत्रिका के संपादक डॉ. अनिल पतंग एकांकी विद्या के एक सधे हुए कलाकार हैं, सम्पादक एकांकी विद्या पर केन्द्रित इस पत्रिका को निकाल कर एकांकी विद्या की श्रीवृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, रंग अभियान अपने अभियान में तत्पर है यह बिहार के एकांकी विद्या के लिए शुभ है।

    समय सुरभि अनन्त नरेन्द्र कुमार सिंह के सम्पादन में प्रकाशित त्रैमासिक साहित्यिक चेतना की संवाहिका है जो बेगूसराय से प्रकाशित है। 80 पृष्ठो वाली यह पत्रिका साहित्य सृजन को समर्पित है। शोधार्थियों के लिए यह पत्रिका समय से अनन्त सुरभि देती है जिसका लाभ हिन्दी के शोधार्थी उठते रहे हैं।

    शब्द शिप्रा जहानाबाद से प्रकाशित साहित्यिक व सांस्कृतिक मासिक पत्रिका है। 32 पृष्ठों की इस पत्रिका के सम्पादक हैं सुधाकर राजेन्द्र। कहानी, कविता, गीत-गजल के अलावा लोकधारा की रचनाएं भी इसमें स्थान पाती रही है। नई पीढ़ी के रचनाकारों को साहित्य सृजन के लिए प्रेरित करती यह पत्रिका नए रचनाकारों के बीच चर्चित रही है।

    शब्द कारखाना डॉ. रमेशनील कमल के सम्पादन में जमालपुर मुंगेर से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका है। नीलकमल मीनाक्षी प्रकाशन के प्रकाशक होने के कारण इसे कुशलता से निकालते रहे हैं जिसमें देश के चर्चित साहित्यकार सम्मान पूर्वक छपते रहे हैं। साहित्य सृजन को समर्पित शब्द करखाना साहित्यकारों के बीच एक चर्चित त्रैमासिक पत्रिका है।



    बिहार की साहित्यिक धरातल से फिलहाल निकलने वाली पत्र-पत्रिकाओं की सूची लम्बी है। इन पत्र-पत्रिकाओं में बेगूसराय से प्रकाशित मुक्त कथन जनार्दन सिंह द्वारा सम्पादित साहित्यिक पत्र है। अंग माधुरी डॉ. नरेश पाण्डेय चकोर द्वारा सम्पादित गांधी नगर पटना से प्रकाशित पत्रिका है। परति पलार   नमिता सिंह द्वारा सम्पादित आश्रम रोड अररिया से प्रकाशित मासिक पत्रिका है। सुमन सागर कमल रंजन द्वारा सम्पादित बाढ़ से प्रकाशित मासिकी है। निरख परख खगड़िया से प्रकाशित बोढ़न महतो द्वारा सम्पादित साहित्यिक पत्रिका है। कथान्तर राणा प्रताप द्वारा सम्पादित बेगमपुर पटना से प्रकाशित पत्र है। क्षणदा सुबोध कुमार सुधाकर द्वारा सम्पादित सुपौल से प्रकाशित पत्रिका है। विन्डोवा शम्भु विष्वकर्मा द्वारा सम्पादित नवादा से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका है। अंगिका लोक डॉ. सकलदेव शर्मा द्वारा सम्पादित लहेरिया सराय दरभंगा से प्रकाशित अंगिका भाषा की पत्रिका है। नई सुबह सीतामढ़ी से प्रकाशित दशरथ प्रजापति द्वारा सम्पादित पत्रिका है। सृजन लोक आरा से प्रकाशित संतोश श्रेयांस द्वारा सम्पादित पत्रिका है। मगही, करजान पटना से प्रकाशित धनंजय श्रोत्रिय द्वारा सम्पादित मगही भाषा की द्वैमासिक पत्रिका है। अलका मागधी अभिमन्यु प्रसाद मौर्य द्वारा सम्पादित जक्कनपुर पटना से प्रकाशित मगही की मासिक पत्रिका है। सारथी मगही मंडप नवादा से प्रकाशित मिथिलेश के सम्पादन में सम्पादित मगही भाषा की तिमाही पत्रिका है। राजभाषा बिहार राजभाषा की साहित्यिक पत्रिका है इसी प्रकार साहित्य प्रहरी, अभिनव, प्रत्यक्ष, आर्य, संदेश, सहयात्री वातायन प्रभात, मगही टाइम्स, पहुंच, सम्भवा, बिहार की धरती से प्रकाशित महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं हैं। यही कारण है कि बिहार को साहित्यिक पत्रकारिता का नइहर कहा जाता है, किन्तु दुखद बात यह भी है कि अर्थाभाव के कारण ये साहित्यिक पत्र पत्रिकाएं अच्छी स्थिति में नहीं चल रही है। ऐसी स्थिति में सरकार, साहित्यिक संस्थाओं और साहित्यिक अकादमियों का दायित्व है कि इन पत्र पत्रिकाओं की दषा सुधारने में सहयोग करे जिससे कि साहित्यिक पत्रकारिता की दिषा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होकर मंजिल तक पहुंच सके।

5 comments:

  1. धन्यवाद सुधाकर जी इस जानकारीपरक आलेख के लिए। अर्थाभाव के कारण इन पत्रिकाओं की पहुँच पाठकों में कम है या पाठकों में पहुँच कम होने के कारण अर्थाभाव है,यह विचारणीय है। आपका अगला आलेख इस बिंदु पर भी हो।

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  2. मिथिलेश्वरी कुमारी मिश्र अथवा मिथिलेश कुमारी मिश्र?

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  3. आपका आलेख बहुत जानकारी परक है कुछ और गणमान्य पत्रिकाओं को जोड़ देते तो आलेख और समृद्ध हो जाता

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  4. बहुत सुंदर आसेख

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